Friday, December 23, 2016

शब्द - निःशब्द

ये जो है मानव की जीवनधारा,
शब्दों का ही खेल है सारा।

शब्दों से ही हुआ है इस विश्व का निर्माण,
शब्द ही हैं मनुष्य के उत्थान का प्रमाण।

शब्द धर्म है, शब्द ही है विज्ञान,
शब्द खुदा हैं, शब्द ही हैं श्रीराम।

शब्द ही हैं गीता का ज्ञान,
शब्द ही हैं बाइबल और कुरान।

शब्द ही हैं वेद और पुराण,
शब्दों से ही बनता है मनुष्य महान।

शब्द हंसाते हैं, शब्द ही रुलाते हैं,
शब्द गिराते हैं, शब्द ही उठाते हैं।

शब्द युध्द हैं, शब्द बुद्ध भी हैं,
शब्द शव हैं, तो शब्द शिव भी हैं।

इसीलिए शब्दों का ये खेल मनुष्य,
तुम सोच समझ कर खेलो।
कभी कटु वचन न निकले मुख से,
इसीलिए तोलो, मोलो और फिर बोलो।

मधुर

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