Friday, December 18, 2020

मिडल क्लास






न गरीबी से दूर हूँ, न अमीरी के पास हूँ
लोअर कहलो या अपर, मैं मिडल क्लास हूँ ।

तनख्वाह वाले दिन हाथ खोल कर लुटाता हूँ,
महीने के आखिर में दस रूपये भी बचाता हूँ ।

नया साल टीवी पर ही देखकर मनाता हूँ ।
बाहर घूमने का प्लान ऑफ सीजन में बनाता हूँ।

डी मार्ट, अमेज़न के डिस्काउंट मुझे लुभाते हैं,
कपड़े साल भर के जब इकट्ठे ले लिए जाते हैं ।

जुड़ी रहती मुझसे पूरे परिवार की आस है,
लेकिन ठीक है, हमारे सपने भी मिडल क्लास हैं ।

होली दीवाली पर मिठाई बाहर से कम आती है,
हमें घर की पकौड़ी और गुझिया ही भाती हैं।

बच्चे भी मेरे घर के समझदार होते हैं,
ज़िद्द नहीं करते जब पालक लाचार होते हैं ।

फ़िल्म की रिलीज या क्रिकेट में जीत में खुश हो लेता हूँ,
मैं मिडल क्लास हूँ, अपनी मस्ती में मस्त रहता हूँ ।

नेताओं को मुझसे कोई सरोकार नहीं है,
क्योंकि मुझसे जुड़ी उनकी जीत या हार नहीं है ।

ना ही मैं गरीब किसान हूँ, ना मेरे ऊपर बीपीएल की रेखा है,
लेकिन कमी क्या होती है, ये मैंने भी अच्छे से देखा है।

कोई दीनदयाल या मनरेगा नहीं आयी मेरे लिए, 
हाथ आयी बस सिस्टम की गाली और लाचारी है,

फिर भी जीएसटी हो या इनकम टैक्स, मैं पूरा भरता हूँ
क्योंकि मिडल क्लास में जिंदा आज भी ईमानदारी है ।

अक्सर ये सवाल पूछा जाता है कि देश मे कौन बड़ा है,
मैं गर्व से कहता हूँ, देश मिडल क्लास कंधों पे खड़ा है।

पर आज जो देश के हालात हैं, देखकर डर गया हूँ,
ये नकली आंदोलन - तमाशे देख कर सोच में पड़ गया हूँ

अब पता नहीं कितने दिन और मिडल क्लास रह पाऊंगा,
अगर वीज़ा लगा तो कनाडा या अमेरिका चला जाऊंगा ।

मधुर द्विवेदी 🙏

Tuesday, December 8, 2020

सराय





आजकल जब भी इस शहर को आता हूँ,
अपने आईने से भी नज़रें चुराता हूँ ।

नीम पर बैठी वो चिड़िया जैसे ताने कसती है,
मैं बस खामोशी से सुनता जाता हूँ ।

पुराने कुछ किस्से दबाये बैठा हूँ ज़हन में,
बस उन्हें याद करके वक़्त बिताता हूँ ।

दोस्त - दुश्मन कौन थे याद नहीं अब,
हर बशर से दुआ सलाम करता जाता हूँ ।

जो घर अपने थे, उनकी खिड़कियाँ बंद रहती है,
मैं बस दीवारों से मिलकर लौट आता हूँ ।

ये शहर, ये गलियाँ अब पराये हो चुके,
मैं भी सराय समझ कर एक रात रुक जाता हूँ ।

मधुर द्विवेदी