Thursday, May 28, 2020

उन्हे हिसाब चाहिए



क्या किया क्या नहीं किया, उन्हें जवाब चाहिए,
यहाँ सांसें कम पड गयी, उन्हें हिसाब चाहिए |

एक अरसा हुआ दिल के कोने अंधेरे हैं,
दुनिया के उजाले उन्हें लाजवाब चाहिए |

भूखा मरता है तो मरे कोई उनकी बला से,
अपनी प्लेट मे गोश्त उन्हें बेहिसाब चाहिए |

दो लफ्ज क्या निकले हमारे, उन्हे मुखालफत लगी,
अब वक़्त आ गया है, हमें इंकलाब चाहिए |

मधुर

Monday, May 11, 2020

तुम

तेरी आँखों मे देखा तो ये जाना कि जज़ा क्या है ।
खुदा भी नाराज़ है तबसे नामालूम मेरी खता क्या है,

लेकिन चुनना पड़ा तो तुझे ही चुनूँगा हर बार मैं,
ज़माने से भी लड़ना पड़े तो लड़ूंगा हर बार मैं ।

जमाने की परवाह नहीं अब, अब सुनने हैं बस तेरे अशआर,
सब उज़्र कबके छोड़ चुका, अब बस हूँ तेरा तलबगार ।

क्यूंकि, तेरा साथ हुआ तो जाना कि वफ़ा क्या है,
तेरे चश्म-ए-नूर के सिवा जहाँ में रखा क्या है।