क्यों होता है ये की हम हार जाते हैं,
एक आखरी कदम उठाने को तैयार हो जाते हैं,
क्या जिंदगी इतनी बोझिल है,
या आज का इंसान इतना जाहिल है,
जो समझ नही पाता अपनों के मिज़ाज़ को,
दबा देता है उनके अंदर की आवाज़ को।
छोड़ देता है ऐसे वक्त पर उसका साथ,
जब पकड़ना चाहिए उस अपने का हाथ,
कहना चाहिए मैं हूँ तुम्हारे लिए,
मुझसे कह सकते हो अपने दिल की बात,
एक चाय का प्याला, या घर का एक निवाला,
दो उसे बीते हुए अच्छे दिनों का हवाला
हो सकता है तुम मशहूर हो, दोस्त भी अनेक हैं,
लेकिन याद रखना तुम्हे मिला ये जीवन भी एक है,
जानता हूँ बहुत कीमती वक़्त तुम्हारा है,
लेकिन डूबते को तिनके का भी सहारा है ।
और मेरे वो दोस्त जो किसी मुसीबत से जूझ रहे हैं,
बाहर से खुश दिखते हैं, लेकिन अंदर से टूट रहे हैं ।
भूलना मत की तुम्हारा एक दोस्त है, एक घर है,
चले आओ हमारे पास, दिन-रात साथ मे काटेंगे,
खाना जैसा भी हो, कच्चा हो या पक्का मिलकर बांटेंगे,
क्योंकि अगर तुम चले गए तो हम अपना किसे कहेंगे,
और तुम्हारे बिना वो घरवाले और यार-दोस्त कैसे जियेंगे।
तुम बस एक बार पुकार लो, हम दौड़े चले आएंगे,
तुम फिर न भी मिलो, हम पलट कर रोज़ फोन लगाएंगे,
थोड़ा वक्त लगेगा, मुश्किल भी होगी,
पर अपनों का साथ रहेगा तो हम जीत जाएंगे ।
हम जीत जाएंगे ।
मधुर
Dedicated to Sushant and to everybody who is going through a tough time, you are not alone. Call us out, be it friends or family. Together We can win, we will win.