Wednesday, July 28, 2021

इंक़लाब







इंक़लाब भी जैसे जुलाब हो गया है आजकल,
किसी को कहीं भी लग जाता है।

2-4 बड़ी बड़ी पींगे मारता है,
फिर अपने आप ठंडा पड़ जाता है।

कहने को सब भगतसिंह की विरासत हैं,
लेकिन खून में उबाल 2 पेग के बाद ही आता है ।

और जब बारी आती है जेल जाने की,
तो कोई नेता रिश्तेदार निकल आता है ।

अपने लहू से इंक़लाब लिखने की बाते करता था,
वो लड़का आज ट्रेन की पटरी पर कट जाता है ।

और जो कभी चोरों का सरदार हुआ करता था,
वही आज सियासी सिपहसालार बन जाता है ।

सब देखता है, सुनता है चुपचाप,
और फिर इंक़लाब भी सो जाता है ।

मधुर द्विवेदी

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