Friday, July 9, 2021

साथ






साथ छूटे को मुद्दतें बीती,
मिलने का वादा पुराना हो गया ।

ईद का चांद भी दिख जाता है
साल में दो बार ।
लेकिन आपका दीदार किए,
एक ज़माना हो गया ।

एक दौर था जब, आंखों से सही
पूछ लिया करते थे हमारा हाल ।
अब ये बहाना भी खैर,
एक बहाना हो गया ।

मधुर द्विवेदी

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