ये जाने वाला साल कुछ ये कर गया,
कि आज फिर जी कुछ लिखने को मचल गया ।
ये जाने वाला साल फिर कुछ कर गया,
कुछ अपने ले गया कुछ सपने दे गया ।
सपने अपनों से फिर मिल जाने के,
सपने दूरियों के पास आने के
एक दूसरे की गलतियों को भुलाने के,
भूल न सकें तो माफ करने के ।
आने वाले साल में शायद कुछ नया कर पाएं,
जितना प्रेम दिल मे है , शायद सबको दिखा पाएं,
इस आने वाले साल में सबको खुशी मिले,
गम सबके कम हों, सबको जिंदादिली मिले ।
2020 में उन्नीस बीस कोई न रहे , सब बराबर हों,
एक दूसरे की खुशी में , गम में सब मुत्तहिद हों ।
दुआ बस यही है कि आने वाला साल सबको सलामत रखे,
घर और बाहर के माहौल को जन्नत रखे ।
इस आने वाले साल में जो बिछड़े थे वो मिल जाएं ,
और जो पराये थे वो भी अपने हो जाएं ।
जय श्री महाकाल, आमीन ।
मधुर द्विवेदी ।